नवरात्रि का चौथा दिन: देवी कुष्मांडा का मंत्र पूजन और उपाय
नवरात्रि के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी कुष्मांडा हैं। देवी कुष्मांडा को ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी माना जाता है। वे आठ भुजाओं वाली हैं और सिंह पर विराजमान रहती हैं। उनके दसों दिशाओं में विस्तृत रूप को देखकर ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी।
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देवी कुष्मांडा का महत्व
देवी कुष्मांडा को ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी होने के कारण अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। वे अपने भक्तों को आरोग्य, समृद्धि और सुख प्रदान करती हैं। देवी कुष्मांडा की पूजा करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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देवी कुष्मांडा की पूजन विधि
* शास्त्रों के अनुसार देवी कुष्मांडा की पूजा का विधान इस प्रकार है:
* सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
* पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और दीपक जलाएं।
* देवी कुष्मांडा की प्रतिमा या चित्र को धूप-दीप दिखाएं।
* कुमकुम, चंदन और फूल चढ़ाएं।
* देवी कुष्मांडा का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
* वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
* देवी कुष्मांडा को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं।
* आरती करें और देवी से अपने मन की कामनाएं मांगें।
* पूजा का समय: नवरात्रि के चौथे दिन सुबह या शाम के समय देवी कुष्मांडा की पूजा की जा सकती है।
शुभ रंग
देवी कुष्मांडा को पीला रंग प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करने और पीले रंग के फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
प्रसाद भोग
देवी कुष्मांडा को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। आप देवी को केले, अनार, सेब, संतरा आदि फल चढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, आप देवी को खीर, हलवा या अन्य मिठाई भी चढ़ा सकते हैं।
बीज मंत्र
देवी कुष्मांडा का बीज मंत्र "क्लीं" है। इस मंत्र का जाप करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है।
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कथा
देवी कुष्मांडा की कथा के अनुसार, ब्रह्मांड के उत्पत्ति से पहले अंधकार छाया हुआ था। तब देवी कुष्मांडा ने अपनी एक मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इसीलिए उन्हें ब्रह्मांड की माता भी कहा जाता है।
उपाय
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से धन प्राप्ति होती है।
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से मन शांत होता है।
आरती
देवी कुष्मांडा की आरती
या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
माँ कुष्माण्डा तुम जगदम्बा, तुम हो आदि शक्ति।
तुमसे ही सब जग बना है, तुम हो ब्रह्मांड की माता।।
तुम हो अष्टभुजाधारिणी, सिंह वाहन पर सवार।
तुमसे ही सब जग जगमगाता, तुम हो अंधकार हार।।
तुम हो शक्ति स्वरूपिणी, तुम हो दुःखों का नाश।
तुम हो भक्तों की रक्षक, तुम हो सभी का आधार।।
नोट: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले किसी विद्वान से सलाह लेना उचित होगा।
कथा
देवी कुष्मांडा की कथा के अनुसार, ब्रह्मांड के उत्पत्ति से पहले अंधकार छाया हुआ था। तब देवी कुष्मांडा ने अपनी एक मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। इसीलिए उन्हें ब्रह्मांड की माता भी कहा जाता है।
उपाय
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से धन प्राप्ति होती है।
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
* देवी कुष्मांडा की पूजा करने से मन शांत होता है।
आरती
देवी कुष्मांडा की आरती
या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
माँ कुष्माण्डा तुम जगदम्बा, तुम हो आदि शक्ति।
तुमसे ही सब जग बना है, तुम हो ब्रह्मांड की माता।।
तुम हो अष्टभुजाधारिणी, सिंह वाहन पर सवार।
तुमसे ही सब जग जगमगाता, तुम हो अंधकार हार।।
तुम हो शक्ति स्वरूपिणी, तुम हो दुःखों का नाश।
तुम हो भक्तों की रक्षक, तुम हो सभी का आधार।।
नोट: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले किसी विद्वान से सलाह लेना उचित होगा।
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