My India: साईं भक्तों का रामबाण :- महामन्त्र "साई राम "

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साईं भक्तों का रामबाण :- महामन्त्र "साई राम "

 



साईं भक्तों का रामबाण :- महामन्त्र "साई राम "


सामान्यतः मनुष्य जीवन से संबंधित हो जाने वाला जीव जब देह धारण करता है तब प्रारंभिक अवस्था में उसकी पहचान सर्वनाम से होती है। बाद में सामाजिक व्यवहार के दृष्टिकोण से, सर्वसामान्यों में उसकी स्वतन्त्र पहचान हो इसके लिए उसका विशेष नामकरण किया जाता है।... बानि, देह पहले और नाम बाद में यह सिलसिला कुदरत के नियमानुसार चलता रहता है। परन्तु इसे


अपवाद हैं दो नाम एक- "राम' और दूसरा 'साई। इन नामों ने, जिन देशों को लागू किये गए, उन देशों के साकार रूप के पूर्व ही अपनी असीम महिमा की प्रतीति दी..


ये नाम समस्त सर्वोत्तम गुणों के दर्शन करा देने वाले होने के कारण इन गुणों के ईश तत्व के प्रतायुग में कलियुग में अवतरित देहों में दर्शन होने से इन देशों को 'राम' व 'साई' इन नामों से संबोधित किया गया।...


मूलतः ब्राह्मण कुल में जन्मा लेविन कुसंगति से क्रूरकर्मा बना बाल्या का


रूपांतर रामावतार से पहले ही रामायण रच कर बाल्मीकि ऋषि में हुआ वह


राम नाम से ही गुणवर्णन पहले और प्रत्यक्ष रूप बाद में ऐसा ही कल्पना से परे,


कल्पनातीत अमित करा देने वाला पति राम नाम से हुआ।... प्रत्यक्ष रामावतार में साक्षात् राम को अपने हृदय सिंहासन पर विराजित कराने वाले रामदास राम का नाम सुनते ही अपने होश गंवाकर, भावविभोर होकर नाचने लगते थे।...


इतना ही नहीं, राम नाम से निर्जीव पाषाणों में चेतना आ गई और वे तर गए।


इस, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष ये चारों पुरुषार्थ, उनका अतिरेक न होने देकर, चरितार्थ कराने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने कलियुग में सिडी में मस्जिद-वारकामाई में नीलोत्पलदत्त श्याम भक्तकामकल्पद्रुम किरीटकुण्डलमंडित, वनमाला विराजित, पीतवास चतुर्हस्त, शंख-चक्र-गदाधर, श्रीवत्सलोचन कौस्तुभहार, धनुर्धर ऐसे मनोहारी लोकविलक्षण रूप में साई के स्थान पर दर्शन दिये... और साई रूप ही रामरूप है इसके प्रत्यक्ष प्रमाण दिये।


राम नाम के समान हो 'साई' इस शब्द के गुणविशेष, उसका माहात्म्य पहले से भी ज्ञातमहालापति को शिर्डी में खण्डोबा मंदिर के प्राण में इन विशेष गुणों के रूप का दर्शन होते ही उनके मुख से अनायास ही उद्गार निकल पड़े... "आओ साई!"


महान ग्रन्थ रामायण ने राम नाम की, तो ग्रन्थराज श्री साई सत् चरित ने साई नाम की महिमा बखान की है,


उनकी साक्षात अनुभूति दी है।


-छोड़ कर लाख चतुराई। स्तरों निरन्तर साई साईं बेड़ा पार होगा भाई कभी भी संदेह न करना। यह नहीं मेरी जुबानी। यह तो है साई की वाणी इसे व्यर्थ न समझना। इसका कोई मोल न करता कुसंगति करना सबसे बेकार यह तो है महादुःखों का भण्डार जिंदगी हो जायेगी बर्बाद सुख में


पड़ जायेगी दरार। गुरुमुख से निकाले गुरुवचन करो को भक्त जन कुसंगति का होगा नाश।।


श्री साई सत् चरित अध्याय १०

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