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Saibaba of Shirdi- Dhoopaarti

 


Saibaba Sai Baba Shirdi Sainath Wall Painting Framed Home Decor

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ओम साईं राम 
जो भी साईबाबा के भक्त श्रीसाईबाबा संस्थान शिर्डी मैं ऑनलाइन डोनेट  करना चाहते हैं 
नीचे दिए गए डोनेट नऊ पर क्लिक करके डोनेट कर सकते हो 
श्री साईबाबा संस्थान ट्रस्ट शिरडी ऑफिशियल वेबसाइट है 

                                   

Shri Saibaba Shirdi Madhyanh- Aarti Darshan

.
     
 *!! ॐ श्री साईं शिर्डीनाथायनमः !!*


   🙏 *माध्यान्ह आरती* 🙏 
          पंचारती अभंग*
घेवुनिया पंचाआरती, करू बाबाची आरती करू साईची आरती बाबांची आरती ऊठा ऊठा हाे बांधव,आेवाळु हा रघुमाधव
ll2ll करूनिया स्थीर मन पाहु गंभीर हे ध्यान साईचे ही ध्यान पाहु गंभीर हे ध्यान कृष्णनाथ दत्त साई. जड़ो चित्त तुझ पायीll

           *आरती साईबाबा*

आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा।
चरणरजातली । द्यावा दासा विसावा,  भक्ता विसावा ।। आ०।।ध्रु ०।।
जाळुनियां अनंग। स्वस्वरूपी राहेदंग ।
मुमुक्षूजनां दावी । निज डोळा श्रीरंग ।। आ०।। १ ।।
जयामनी जैसा भाव । तया तैसा अनुभव ।
दाविसी दयाघना । ऐसी तुझीही माव ।। आ०।। २ ।।
तुमचे नाम ध्याता । हरे संस्कृती व्यथा ।
अगाध तव करणी ।  मार्ग दाविसी अनाथा ।। आ०।। ३ ।।
कलियुगी अवतार । सगुण परब्रह्मः साचार ।
अवतीर्ण झालासे । स्वामी दत्त दिगंबर ।। द०।। आ०।। ४ ।।
आठा दिवसा गुरुवारी । भक्त करिती वारी ।
प्रभुपद पहावया । भवभय निवारी ।। आ०।। ५ ।।
माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरज सेवा ।
मागणे हेचि आता । तुम्हा देवाधिदेवा ।। आ०।। ६ ।।
इच्छित दिन चातक। निर्मल तोय निजसुख ।
पाजावे माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ।। आ०।। ७ ।। &

                *जय देव जय देव*                

जय देवा जय देवा दत्ता अवधूता! साई अवधूता!जोडुनी कर तव चरणी ठेवतो माथा!! जय देवा जय देवा
अवतरसीं तु येता धर्मातें ग्लानी 
नास्तिकानांही तु लाविसी निजभजनी
दाविसी नानालिला असंख्या रुपानी 
हरिसी दिनांचे तू संकट दिनरजनी.. आरती.. 
यवनस्वरुपि एक्या दर्शन त्वां दिधले
संशय निरसुनिया तदद्वैता घालविले 
गोपिचंदा मंदा त्वाची उद्धरिले 
मोमीन वंशी जन्मुनी लोका तारियले 
.. जय... 
भेदन तत्वी हिंदू यवनाची काही 
दावायासी झाला पुनरपी नरदेही 
पाहासी प्रेमाने तु हिंदू.. यवनाहीं 
दाविसी आत्मतवाने व्यापक हा साई 
... जय... 
देवा साईनाथा त्वत्पदनत भावे 
परमाया मोहित जनमोचनी झणि व्हावे. 
त्वत्कृपये सकलांचे संकट निरसावे 
देशिल तरी तरी दे त्वध्यश कृष्णाने गावे... जय..

               *अभंग*

शिर्डी माझे पंढरपुर । साईबाबा रमावर ।। १ ।।
शुद्ध भक्ती चंद्रभागा । भाव पुंडलिक जागा ।। २ ।।
या हो या हो अवघे जन । करा बाबांसी वंदन ।। ३ ।।
गणु म्हणे बाबा साई । धाव पाव माझे आई ।। ४ ।।

              *नमन*

       घालीन लोटांगण,  वंदिन चरण,
       डोळ्यांनी पाहीन रूप तुझे ।।
      प्रेमे आलिंगन,  आनंदे पुजिन,
      भावे ओवाळिन म्हणे नमः ।। १ ।।
      त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
      त्वमेव बंधूश्च सखा त्वमेव ।
      त्वमेव विद्या द्रविण त्वमेव,
      त्वमेव सर्व ममदेव देव ।। २ ।।
      कायेन वाचा मनसैन्द्रीयेवा,
      बुध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावा ।
      करोमी यदन्यंसकल परस्मै,
      नारायणाइति समर्पयामी ।। ३ ।।
      अच्युतम केशवम् रामनारायणं,
      कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरी ।
      श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम,
      जानकीनायकम् रामचंद्र भजे ।। ४ ।।

              *नामस्मरण*

     हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।
     हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।

            *पुषपांजली (मंत्र पुष्पम)*

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्न ।
ते ह नाकं महिमानः सचंत यत्र पूर्वे साध्या संति देवा: ।।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्यसाहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मे कामान्कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो दधातु।
कुबेराय वैश्रवणाय । महाराजा नमः । ॐ स्वस्ति ।
साम्राज्य्मं  भौज्य्मं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्य
राज्य माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी
स्यात्सार्वभौमः सार्वायूष आंतादापरार्धात्
पृथिव्यैसमुद्रपर्यताया एकराळीती ।
तदप्येष श्लोकोsभिगीतो मरूतः परिवेष्टारो
मरूत्तस्यावसनगृहे आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति ।।

।। श्री नारायण वासुदेवाय सचिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय ।।
                   
              *नमस्काराष्टक*

अनंता तुला ते कसे रे स्तवावे । अनंता तुला ते कसे रे नमावे ।।
अनंत मुखांचा  शिणे शेष गाथा । नमस्कार साष्टांग श्रीसाईनाथा ।। १ ।।
स्मरावे मनी त्वत्पदा नित्य भावे । उरावे तरी भक्तिसाठी स्वभावे ।।
तरावे जगा तारुनी मायताता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। २ ।।
वसे जो सदा दावया संत लीला ।  दिसे अज्ञ लोकापरी जो जनाला ।।
परी अंतरि ज्ञान कैवल्यदाता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ३ ।।
बरा लाधला जन्म हां मानवाचा । नरा सार्थका साधनीभुत साचा ।।
धरु साईप्रेमा गळाया अहंता ।  नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ४ ।।
धरावे करी सान अल्पज्ञ बाला । करावे आम्हा धन्य चुंबोनि घाला ।।
मुखी घाल प्रेमे खरा ग्रास आता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ५ ।।
सुरादिक ज्यांच्या पदा वंदिताति । सुरादिक ज्यांचे समानत्व देती ।।
प्रयगादि तीर्थेपदि नम्र होता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ६ ।।
तुझ्या ज्या पदा पाहता गोपबाली । सदा रंगली चित्स्वरुपि मिळाली ।।
करी रासक्रीड़ा सवे कृष्णनाथा । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ७ ।।
तुला मागतो मागणे एक द्यावे । करा जोडितो दिन अत्यंत भावे ।।
भवि मोहनीराज हा तारी आता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ८ ।।

             *ऐसा येई बा*
               
ऐसा येई बा । साई दिगंबरा । अक्षयरूप अवतारा। सर्वही व्यापक तू ।
श्रुतिसारा । अनुसया त्रिकुमारा । बाबा येई बा ।। ध्रु ।।
काशी स्नान जप, प्रतिदिवशी । कोल्हापुर भिक्षेसि । निर्मल नदी तुंगा,
जल प्राशी । निद्रा माहुर देशी ।। ऐसा येईबा ।। १ ।।
झोळी लोंबतसे वाम करी । त्रिशुल डमरू धारी । भक्ता वरद सदा सुखकारी ।
देशील मुक्ति चारि ।। ऐसा येईबा ।। २ ।।
पायी पादुका । जपमाला कमंडलू मृगछाला । धारण करिशि बा ।
नागजटा मुगट शोभतो माथा ।। ऐसा येईबा ।। ३ ।।
तत्पर तुझ्या या  जे ध्यानी । अक्षय त्यांचे सदानि । लक्ष्मी वास करी दिनरजनी ।
रक्षिसि संकट वारुनि ।। ऐसा येईबा ।। ४ ।।
या परीध्यान तुझे गुरुराया । दृश्य करी नयना या। पूर्णा नंद सूखे ही काया ।
लाविसि हरीगुण गाया ।। ऐसा येईबा ।। ५ ।।
                       
                     *श्रीसाईनाथमहिम्नस्त्रोत्रम*
     
सदा सत्स्वरूपं  चिदानंदकंदं,  जगत्समभवस्थानसंहारहेतुम ।    
स्वभक्तेछयामानुशं दर्शयन्तः,  नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। १ ।।
भवध्वांतविध्वंसमर्तांडमिड्य, मनोवागतीतं मुनीर्ध्यानग्म्यम् ।       
जगदव्यापकं निर्मलं निर्गुणं त्वा, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। २ ।।
भवांभोधीमग्नादिर्तानां जनानां, स्वपादाश्रितानां स्वभक्तिप्रियाणाम् ।        
समुद्धारणार्थ कल्लो संभवंतं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ३ ।।      
सदा निंबवृक्ष्यस मूलाधिवसात्सुधास्त्राविणं तिक्तमप्यप्रियं तम् ।       
तरुं कल्पवृक्षाधिकं साधयंतं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ४ ।।      
सदा कल्पवृक्ष्यस तस्यधिमुले भवद्भावबुद्ध्या सपर्यादिसेवाम् ।
नृणा कुर्वतां भुक्तिमुक्तिप्रदं तं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ५ ।।      
अनेकाश्रुतातर्क्यलीला  विलासै: समाविश्र्कृतेशानभास्वत्प्रभावं ।
अहंभावहीनं प्रसन्नात्मभावं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ६ ।।
सतां:विश्रमाराममेवाभिरामं सदा सज्जनै: संस्तुतं सन्नमद्भि: ।
जनामोददं भक्तभद्रप्रदं तं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ७ ।।
अजन्माद्यमेकं परं ब्रम्ह साक्षात्स्व  संभवं-राममेवावतीर्णम् ।         
भवद्दर्शनात्स्यपुनीत: प्रभो हं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ८ ।।
श्री साईंशकृपानिधेखिलनृणां  सर्वार्थसिद्धिप्रद ।
युष्मत्पादरज:प्रभावमतुलं धातापि वक्ताक्षम: ।
सद्भ्क्त्या शरणं कृतांजलिपुट: संप्रापितोस्मि प्रभो,
श्रीमत्साईपरेशपादकमलान्यानछरणयं मम ।। ९ ।।
साईरूपधरराघवोत्तमं,  भक्तकामविबुधद्रुमं प्रभुम ।
माययोपहतचित्तशुद्धये,  चिंतयाम्यहमहर्निशं मुदा ।। १० ।।
शरत्सुधांशुप्रतिमंप्रकाश,  कृपातपात्रं तव साईनाथ ।
त्वदीयपादाब्जसमाश्रितानां स्वच्छयया तापमपाकरोतु ।। ११ ।।
उपसनादैवतसाईनाथ, स्तवैमर्यो पासनिना स्तुतस्वम ।
रमेन्मनो मे तव पाद्युग्मे , भ्रुङ्गो, यथाब्जे मकरंदलुब्ध : ।। १२ ।।   
अनेकजन्मार्जितपापसंक्षयो, भवेद्भावत्पादसरोजदर्शनात।
क्षमस्व सर्वानपराधपुंजकान्प्रसीद साईश गुरो दयानिधे ।। १३ ।।                  
श्री साईनाथचरणांमृतपूतचित्तास्तत्पादसेवानरता: सततं च भक्त्या ।
संसारजन्यदुरितौधविनिर्गतास्ते कवैल्याधाम परमं  समवाप्नुवन्ति ।। १४ ।।
स्तोत्रमेतत्पठेद्भक्त्या यो नरस्तन्मना: सदा ।
सदगुरो: साइनाथस्य कृपापात्रं  भवेद ध्रुवम ।। १५ ।।       
                                      
               *प्रार्थना*

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वाsपराधम्
विदितमविदितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीप्रभो साईनाथ

।। श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय ।।येओ थैमान
 
*।। राजाधिराज योगिराज परब्रह्म  साईनाथ महाराज की जय ।।*
!! ॐ साईंराम !!
🙏💐🙏
समस्त साईं परिवार के अनंतकोटी प्रणाम साईंचरणकमल मे समर्पित........
🙏💐🙏


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ओम साईं राम 
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Shri Saibaba Shirdi - Madhyanh- Aarti Darshan

🕉️ साई राम !!
श्री साईबाबा संस्थान विश्वस्त व्यवस्था,शिर्डी
आरती :- माध्यान्ह-आरती
गुरुवार दिनांक ०४ मे २०२३
!! 🕉️ Sai Ram !!
Shri Saibaba Sansthan Trust, Shirdi
Aarti* :- *Madhyanh- Aarti
Thursday 04 May 2023



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ओम साईं राम 
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Shri Saibaba Shirdi - Shirdi Majhe pandharpur Aart Darshan

🕉️ साई राम !!
*श्री साईबाबा संस्थान विश्वस्त व्यवस्था,शिर्डी*
*आरती :- शिरड़ी माझे पंढरपूर आरती*
*गुरुवार दिनांक ०४ मे २०२३*
*!! 🕉️ Sai Ram !!*
*Shri Saibaba Sansthan Trust, Shirdi*
*Aarti* :- *Shirdi Majhe pandharpur Aart





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Shri Saibaba Shirdi DHOOPARTI Darshan

 !! 🕉️ साई राम !!

श्री साईबाबा संस्थान विश्वस्त व्यवस्था,शिर्डी

!! ॐ Sai Ram !!
Shri Saibaba Sansthan Trust, Shirdi
आरती :- धुपारती
*Aarti : DHOOPARTI*
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*🌻🌻धूप-आरती🌻🌻*
*🐚श्री सच्चिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय🐚*
*आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा।*
*चरणरजातली । द्यावा दासा विसावा, भक्ता विसावा ।। आ०।।ध्रु ०।।*
*जाळुनियां अनंग। स्वस्वरूपी राहेदंग ।*
*मुमुक्षूजनां दावी । निज डोळ्या या मम श्रीरंग ।। आ०।। १ ।।*
*जयामनी जैसा भाव । तया तैसा अनुभव ।*
*दाविसी दयाघना । ऐसी तुझीही माव ।। आ०।। २ ।।*
*तुमचे नाम ध्याता । हरे संस्कृती व्यथा ।*
*अगाध तव करणी । मार्ग दाविसी अनाथा ।। आ०।। ३ ।।*
*कलियुगी अवतार । सगुण परब्रह्मः साचार ।*
*अवतीर्ण झालासे । स्वामी दत्त दिगंबर ।। द०।। आ०।। ४ ।।*
*आठा दिवसा गुरुवारी । भक्त करिती वारी ।*
*प्रभुपद पहावया । भवभय निवारी ।। आ०।। ५ ।।*
*माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरज सेवा ।*
*मागणे हेचि आता । तुम्हा देवाधिदेवा ।। आ०।। ६ ।।*
*इच्छित दिन चातक। निर्मल तोय निजसुख ।*
*पाजावे माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ।। आ०।। ७ ।।*
*(3) अभंग*
*शिर्डी माझे पंढरपुर । साईबाबा रमावर ।। १ ।।*
*शुद्ध भक्ती चंद्रभागा । भाव पुंडलिक जागा ।। २ ।।*
*या हो या हो अवघे जन । करा बाबांसी वंदन ।। ३ ।।*
*गणु म्हणे बाबा साई । धाव पाव माझे आई ।। ४ ।।*
*(३) नमन*
*घालीन लोटांगण, वंदिन चरण,*
*डोळ्यांनी पाहीन रूप तुझे ।।*
*प्रेमे आलिंगन, आनंदे पुजिन,*
*भावे ओवाळिन म्हणे नमः ।। १ ।।*
*त्वमेव माता च पिता त्वमेव,*
*त्वमेव बंधूश्च सखा त्वमेव ।*
*त्वमेव विद्या द्रविण त्वमेव,*
*त्वमेव सर्व ममदेव देव ।। २ ।।*
*कायेन वाचा मनसैन्द्रीयेवा,*
*बुध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावा ।*
*करोमी यदन्यंसकल परस्मै,*
*नारायणाइति समर्पयामी ।। ३ ।।*
*अच्युतम केशवम् रामनारायणं,*
*कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरी ।*
*श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभम,*
*जानकीनायकम् रामचंद्र भजे ।। ४ ।।*
*(४) नामस्मरण*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।*
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ( इति त्रीवार)*
*।।श्री गुरुदेव दत्त ।।*
*(५) नमस्काराष्टक*
*अनंता तुला ते कसे रे स्तवावे ।* *अनंता तुला ते कसे रे नमावे ।।*
*अनंत मुखांचा शिणे शेष गाथा ।* *नमस्कार साष्टांग श्रीसाईनाथा ।। १ ।।*
*स्मरावे मनी त्वत्पदा नित्य भावे ।* *उरावे तरी भक्तिसाठी स्वभावे ।।*
*तरावे जगा तारुनी मायताता ।* *नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। २ ।।*
*वसे जो सदा दावया संत लीला ।* *दिसे अज्ञ लोकापरी जो जनाला ।।*
*परी अंतरि ज्ञान कैवल्यदाता ।* *नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ३ ।।*
*बरा लाधला जन्म हां मानवाचा । नरा सार्थका साधनीभुत साचा ।।*
*धरु साईप्रेमा गळाया अहंता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ४ ।।*
*धरावे करी सान अल्पज्ञ बाला । करावे आम्हा धन्य चुंबोनि घाला ।।*
*मुखी घाल प्रेमे खरा ग्रास आता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ५ ।।*
*सुरादिक ज्यांच्या पदा वंदिताति । सुरादिक ज्यांचे समानत्व देती ।।*
*प्रयगादि तीर्थेपदि नम्र होता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ६ ।।*
*तुझ्या ज्या पदा पाहता गोपबाली । सदा रंगली चित्स्वरुपि मिळाली ।।*
*करी रासक्रीड़ा सवे कृष्णनाथा । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ७ ।।*
*तुला मागतो मागणे एक द्यावे । करा जोडितो दिन अत्यंत भावे ।।*
*भवि मोहनीराज हा तारी आता । नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा ।। ८ ।।*
*(६) प्रार्थना*
*ऐसा येई बा । साई दिगंबरा ।* *अक्षयरूप अवतारा। सर्वही व्यापक तू ।*
*श्रुतिसारा । अनुसया त्रिकुमारा । बाबा येई बा ।। ध्रु ।।*
*काशी स्नान जप, प्रतिदिवशी ।* *कोल्हापुर भिक्षेसि । निर्मल नदी तुंगा,*
*जल प्राशी । निद्रा माहुर देशी ।। ऐसा येईबा ।। १ ।।*
*झोळी लोंबतसे वाम करी । त्रिशुल डमरू धारी । भक्ता वरद सदा सुखकारी ।*
*देशील मुक्ति चारि ।। ऐसा येईबा ।। २ ।।*
*पायी पादुका । जपमाला कमंडलू मृगछाला । धारण करिशि बा ।*
*नागजटा मुगट शोभतो माथा ।। ऐसा येईबा ।। ३ ।।*
*तत्पर तुझ्या या जे ध्यानी । अक्षय त्यांचे सदानि । लक्ष्मी वास करी दिनरजनी ।*
*रक्षिसि संकट वारुनि ।। ऐसा येईबा ।। ४ ।।*
*या परीध्यान तुझे गुरुराया । दृश्य करी नयना या। पूर्णा नंद सूखे ही काया ।*
*लाविसि हरीगुण गाया ।। ऐसा येईबा ।। ५ ।।*
*(७)* *श्रीसाईनाथमहिम्नस्त्रोत्रम*
*सदा सत्स्वरूपं चिदानंदकंदं, * *जगत्समभवस्थानसंहारहेतुम । *
*स्वभक्तेछयामानुशं दर्शयन्तः,* *नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। १ ।।*
*भवध्वांतविध्वंसमर्तांडमिड्य,* *मनोवागतीतं मुनीर्ध्यानग्म्यम् ।*
*जगदव्यापकं निर्मलं निर्गुणं त्वा,* *नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। २ ।।*
*भवांभोधीमग्नादिर्तानां जनानां,* *स्वपादाश्रितानां स्वभक्तिप्रियाणाम् । *
*समुद्धारणार्थ कल्लो संभवंतं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ३ ।। *
*सदा निंबवृक्ष्यस* *मूलाधिवसात्सुधास्त्राविणं तिक्तमप्यप्रियं तम् ।*
*तरुं कल्पवृक्षाधिकं साधयंतं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ४ ।। *
*सदा कल्पवृक्ष्यस तस्यधिमुले भवद्भावबुद्ध्या सपर्यादिसेवाम् ।*
*नृणा कुर्वतां भुक्तिमुक्तिप्रदं तं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ५ ।। *
*अनेकाश्रुतातर्क्यलीला विलासै: समाविश्र्कृतेशानभास्वत्प्रभावं ।*
*अहंभावहीनं प्रसन्नात्मभावं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ६ ।।*
*सतां:विश्रमाराममेवाभिरामं सदा सज्जनै: संस्तुतं सन्नमद्भि: ।*
*जनामोददं भक्तभद्रप्रदं तं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ७ ।।*
*अजन्माद्यमेकं परं ब्रम्ह साक्षात्स्व संभवं-राममेवावतीर्णम् ।*
*भवद्दर्शनात्स्यपुनीत: प्रभो हं, नमामीश्र्वरं सदगुरुसाईनाथं ।। ८ ।।*
*श्री साईंशकृपानिधेखिलनृणां सर्वार्थसिद्धिप्रद ।*
*युष्मत्पादरज:प्रभावमतुलं धातापि वक्ताक्षम: ।*
*सद्भ्क्त्या शरणं कृतांजलिपुट: संप्रापितोस्मि प्रभो,*
*श्रीमत्साईपरेशपादकमलान्यानछरणयं मम ।। ९ ।।*
*साईरूपधरराघवोत्तमं, भक्तकामविबुधद्रुमं प्रभुम ।*
*माययोपहतचित्तशुद्धये, चिंतयाम्यहमहर्निशं मुदा ।। १० ।।*
*शरत्सुधांशुप्रतिमंप्रकाश, कृपातपात्रं तव साईनाथ ।*
*त्वदीयपादाब्जसमाश्रितानां स्वच्छयया तापमपाकरोतु ।। ११ ।।*
*उपसनादैवतसाईनाथ, स्तवैमर्यो पासनिना स्तुतस्वम ।*
*रमेन्मनो मे तव पाद्युग्मे , भ्रुङ्गो, यथाब्जे मकरंदलुब्ध : ।। १२ ।।*
*अनेकजन्मार्जितपापसंक्षयो, भवेद्भावत्पादसरोजदर्शनात।*
*क्षमस्व सर्वानपराधपुंजकान्प्रसीद साईश गुरो दयानिधे ।। १३ ।। *
*श्री साईनाथचरणांमृतपूतचित्तास्तत्पादसेवानरता: सततं च भक्त्या ।*
*संसारजन्यदुरितौधविनिर्गतास्ते कवैल्याधाम परमं समवाप्नुवन्ति ।। १४ ।।*
*स्तोत्रमेतत्पठेद्भक्त्या यो नरस्तन्मना: सदा ।*
*सदगुरो: साइनाथस्य कृपापात्रं भवेद ध्रुवम ।। १५ ।।*
*(८) श्रीगुरुप्रसाद - याचना - दशक*
*रुसो मम प्रियांबिका, मजवरी पिताही रूसो ।*
*रुसो मम प्रियांगना, प्रियसुतात्मजाही रूसो ।।*
*रूसो भगिनी बंधुही, श्र्वशूर सासुबाई रूसो ।*
*न दत्तगुरू साई मा, मजवरी कधीही रूसो ।। १ ।।*
*पुसो न सुनबाई त्या, मज न भ्रातृजाया पुसो ।।*
*पुसो न प्रिय सोयरे, प्रिय सगे न ज्ञाती पुसो ।।*
*पुसो सुहृद ना सखा, स्वजन नाप्तबंधू पुसो ।*
*परी न गुरू साई मा मजवरी, कधीही रूसो ।। २ ।।*
*पुसो न अबला मुलें, तरूण वृदही ना पुसो ।*
*पुसो न गुरू धाकुटे, मज न थोर साने पुसो ।।*
*पुसो नच भलेबुरे, सुजन साधुही ना पुसो ।*
*परी न गुरू साई मा, मजवरी कधीहीं रूसो ।। ३ ।।*
*रूसो चतूर तत्ववित, विबुध प्राज्ञ ज्ञानी रुसो ।*
*रूसोहि विदुषी स्त्रिया, कुशल पंडिताही रूसो ।।*
*रूसो महिपती यती, भजक तापसीही रूसो ।*
*न दतगुरू साई मा, मजवरी कधीहीं रूसो ।४ ।।।*
*रूसो कवी ऋषी मुनी, अनघ सिद्ध योगी रूसो ।*
*रूसो हि गृहदेवता, नि कुलग्रामदेवी रूसो ।।*
*रूसो खल पिशाच्चही, मलिन डाकिनीही रूसो ।*
*न दत्तगुरू साई मा, मजवरी कधीहीं रूसो ।। ५ ।।*
*रूसो मृग खग कृमी, अखिल जीवजंतु रूसो ।*
*रूसो विटप प्रस्तरा, अचल आपगाब्धी रूसो ।।*
*रूसो ख पवनाग्नि वार, अवनि पंचतत्वे रूसो ।*
*न दत्तगुरू साई मा, मजवरी कधीही रूसो ।। ६ ।।*
*रूसो विमल किन्नरा, अमल यशिणीही रूसो ।*
*रूसो शशि खगादिही, गगनिं तारकाही रूसो ।।*
*रूसो अमरराजही, अदय धर्मराजा रूसो ।*
* न दत्तगुरू साइ मा, मजवरी कधीही रूसो ।। ७ ।।*
*रूसो मन सरस्वती, चपलचित्त तेंही रूसो ।*
*रूसो वपु दिशाखिला, कठिण काल तोही रूसो ।।*
*रूसो सकल विश्वही, मयि तु ब्रह्मगोलं रूसो ।*
*न दतगुरू साइ मा, मजवरी कधींही रूसो ।। ८ ।।*
*विमूढ म्हणूनी हसो, मज न मत्सराही डसो ।*
*पदाभिरूचि उल्हासो, जननकर्दमी ना फसो ।।*
*न दुर्ग धृतिचा धसो, अशिवभाव मागें खसो ।*
*प्रपंचि मन हें रूसो,दृढ विरक्ति चित्ती ठसो ।। ९ ।।*
*कुणाचिही घृणा नसो, न च स्पृहा कशाची असो ।*
*सदैव हदयीं वसो, मनसि ध्यानिं साई वसो ।।*
*पदी प्रणय वोरसो, निखिल दृश्य बाबा दिसो ।*
*न दत्तगुरू साइ मा, उपरि याचनेला रूसो ।। १० ।।*
*(८) पुषपांजली*
*ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्न ।*
*ते ह नाकं महिमानः सचंत यत्र पूर्वे साध्या संति देवा: ।।*
*ॐ राजाधिराजाय प्रसह्यसाहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।*
*स मे कामान्कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो दधातु।*
*कुबेराय वैश्रवणाय । महाराजा नमः । ॐ स्वस्ति ।*
*साम्राज्य्मं भौज्य्मं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्य*
*राज्य माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी*
*स्यात्सार्वभौमः सार्वायूष* *आंतादापरार्धात्*
*पृथिव्यैसमुद्रपर्यताया एकराळीती ।*
*तदप्येष श्लोकोsभिगीतो मरूतः परिवेष्टारो*
*मरूत्तस्यावसनगृहे आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति ।।*
*।। श्री नारायण वासुदेवाय सचिदानंद सदगुरु साईनाथ महाराज की जय ।।*
*(१० ) प्रार्थना*
*करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा*
*श्रवणनयनजं वा मानसं वाsपराधम्*
*विदितमविदितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व*
*जय जय करुणाब्धे श्रीप्रभो साईनाथ*

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