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Pitru Paksha 2024 -- पितृ पक्ष विशेष ( 17 सितंबर से 02 ओक्ट़बर )


https://mybharthone.blogspot.com/2023/09/blog-post.html

  Pitru Paksha 2024 पितृ पक्ष विशेष

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एकैकस्य तिलैर्मिश्रांस्त्रींस्त्रीन
दद्याज्जलाज्जलीन।
यावज्जीवकृतं पापं तत्क्षणदेव नश्यति।



ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी जब सूर्य नारायण कन्या राशि में विचरण करते हैं तब पितृलोक पृथ्वी लोक के सबसे अधिक नजदीक आता है। श्राद्ध का अर्थ पूर्वजों के प्रति श्रद्धा भाव से है। जो मनुष्य उनके प्रति उनकी तिथि पर अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलफूल, अन्न, मिष्ठान आदि से ब्राह्मण को भोजन कराते हैं। उस पर प्रसन्न होकर पितृ उसे आशीर्वाद देकर जाते हैं। पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं, प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और द्वितीय पितृ पक्ष में जिस मास और तिथि को पितर की मृत्यु हुई है अथवा जिस तिथि को उसका दाह संस्कार हुआ है। वर्ष में उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध में केवल एक पितर की संतुष्टि के लिए श्राद्ध किया जाता है। इसमें एक पिंड का दान और एक ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है। पितृपक्ष में जिस तिथि को पितर की मृत्यु तिथि आती है, उस दिन पार्वण श्राद्ध किया जाता है। पार्वण श्राद्ध में 9 ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है, किंतु शास्त्र किसी एक सात्विक एवं संध्यावंदन करने वाले ब्राह्मण को भोजन कराने की भी आज्ञा देते हैं।


इस सृष्टि में हर चीज का अथवा प्राणी का जोड़ा है। जैसे - रात और दिन, अँधेरा और उजाला, सफ़ेद और काला, अमीर और गरीब अथवा नर और नारी इत्यादि बहुत गिनवाये जा सकते हैं। सभी चीजें अपने जोड़े से सार्थक है अथवा एक-दूसरे के पूरक है। दोनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। इसी तरह दृश्य और अदृश्य जगत का भी जोड़ा है। दृश्य जगत वो है जो हमें दिखता है और अदृश्य जगत वो है जो हमें नहीं दिखता। ये भी एक-दूसरे पर निर्भर है और एक-दूसरे के पूरक हैं। पितृ-लोक भी अदृश्य-जगत का हिस्सा है और अपनी सक्रियता के लिये दृश्य जगत के श्राद्ध पर निर्भर है।


धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।


पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है।


श्राद्ध में पितरों को आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्ड दान तथा तिलांजलि प्रदान कर संतुष्ट करेंगे। इसी आशा के साथ वे पितृलोक से पृथ्वीलोक पर आते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रत्येक हिंदू गृहस्थ को पितृपक्ष में श्राद्ध अवश्य रूप से करने के लिए कहा गया है।


श्राद्ध से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। मगर ये बातें श्राद्ध करने से पूर्व जान लेना बहुत जरूरी है क्योंकि कई बार विधिपूर्वक श्राद्ध न करने से पितृ श्राप भी दे देते हैं।


पितरों की संतुष्टि के उद्देश्य से श्रद्धापूर्वक किये जाने वाले तर्पर्ण, ब्राह्मण भोजन, दान आदि कर्मों को श्राद्ध कहा जाता है। इसे पितृयज्ञ भी कहते हैं। श्राद्ध के द्वारा व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है और पितरों को संतुष्ट करके स्वयं की मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता है।


श्राद्ध या पिण्डदान दोनो एक ही शब्द के दो पहलू है पिण्डदान शब्द का अर्थ है अन्न को पिण्डाकार मे बनाकार पितर को श्रद्धा पूर्वक अर्पण करना इसी को पिण्डदान कहते है दझिण भारतीय पिण्डदान को श्राद्ध कहते है।


श्राद्ध के प्रकार
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शास्त्रों में श्राद्ध के निम्नलिखित प्रकार बताये गए हैं।


1👉 नित्य श्राद्ध : वे श्राद्ध जो नित्य-प्रतिदिन किये जाते हैं, उन्हें नित्य श्राद्ध कहते हैं. इसमें विश्वदेव नहीं होते हैं।


2👉 नैमित्तिक या एकोदिष्ट श्राद्ध : वह श्राद्ध जो केवल एक व्यक्ति के उद्देश्य से किया जाता है. यह भी विश्वदेव रहित होता है. इसमें आवाहन तथा अग्रौकरण की क्रिया नहीं होती है. एक पिण्ड, एक अर्ध्य, एक पवित्रक होता है।


3👉 काम्य श्राद्ध
: वह श्राद्ध जो किसी कामना की पूर्ती के उद्देश्य से किया जाए, काम्य श्राद्ध कहलाता है।


4👉 वृद्धि (नान्दी) श्राद्ध : मांगलिक कार्यों ( पुत्रजन्म, विवाह आदि कार्य) में जो श्राद्ध किया जाता है, उसे वृद्धि श्राद्ध या नान्दी श्राद्ध कहते हैं।


5👉 पावर्ण श्राद्ध : पावर्ण श्राद्ध वे हैं जो भाद्रपद कृष्ण पक्ष के पितृपक्ष, प्रत्येक मास की अमावस्या आदि पर किये जाते हैं. ये विश्वदेव सहित श्राद्ध हैं।


6👉 सपिण्डन श्राद्ध : वह श्राद्ध जिसमें प्रेत-पिंड का पितृ पिंडों में सम्मलेन किया जाता है, उसे सपिण्डन श्राद्ध कहा जाता है।


7👉 गोष्ठी श्राद्ध : सामूहिक रूप से जो श्राद्ध किया जाता है, उसे गोष्ठीश्राद्ध कहते हैं।


8👉 शुद्धयर्थ श्राद्ध : शुद्धयर्थ श्राद्ध वे हैं, जो शुद्धि के उद्देश्य से किये जाते हैं।


9👉 कर्मांग श्राद्ध : कर्मांग श्राद्ध वे हैं, जो षोडश संस्कारों में किये जाते हैं।


10👉 दैविक श्राद्ध : देवताओं की संतुष्टि की संतुष्टि के उद्देश्य से जो श्राद्ध किये जाते हैं, उन्हें दैविक श्राद्ध कहते हैं।


11👉 यात्रार्थ श्राद्ध : यात्रा के उद्देश्य से जो श्राद्ध किया जाता है, उसे यात्रार्थ कहते हैं।


12👉 पुष्टयर्थ श्राद्ध : शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक पुष्टता के लिये जो श्राद्ध किये जाते हैं, उन्हें पुष्टयर्थ श्राद्ध कहते हैं।


13👉 श्रौत-स्मार्त श्राद्ध : पिण्डपितृयाग को श्रौत श्राद्ध कहते हैं, जबकि एकोदिष्ट, पावर्ण, यात्रार्थ, कर्मांग आदि श्राद्ध स्मार्त श्राद्ध कहलाते हैं।


कब किया जाता है श्राद्ध?
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श्राद्ध की महत्ता को स्पष्ट करने से पूर्व यह जानना भी आवश्यक है की श्राद्ध कब किया जाता है. इस संबंध में शास्त्रों में श्राद्ध किये जाने के निम्नलिखित अवसर बताये गए हैं ।


1👉 भाद्रपद कृष्ण पक्ष के पितृपक्ष के 16 दिन।


2👉 वर्ष की 12 अमावास्याएं तथा अधिक मास की अमावस्या।


3👉 वर्ष की 12 संक्रांतियां।


4👉 वर्ष में 4 युगादी तिथियाँ।


5👉 वर्ष में 14 मन्वादी तिथियाँ।


6👉 वर्ष में 12 वैध्रति योग।


7👉 वर्ष में 12 व्यतिपात योग।


8👉 पांच अष्टका।


9👉 पांच अन्वष्टका।


10👉 पांच पूर्वेघु।


11👉 तीन नक्षत्र: रोहिणी, आर्द्रा, मघा।


12👉 एक कारण : विष्टि।


13👉 दो तिथियाँ : अष्टमी और सप्तमी।


14👉 ग्रहण : सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण।


15👉 मृत्यु या क्षय तिथि।


किसके निमित्त कौन कर सकता है श्राद्ध
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हिन्दू धर्म के मरणोपरांत संस्कारों को पूरा करने के लिए पुत्र का प्रमुख स्थान माना गया है। शास्त्रों में लिखा है कि नरक से मुक्ति पुत्र द्वारा ही मिलती है। इसलिए पुत्र को ही श्राद्ध, पिंडदान का अधिकारी माना गया है और नरक से रक्षा करने वाले पुत्र की कामना हर मनुष्य करता है। इसलिए यहां जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पुत्र न होने पर कौन-कौन श्राद्ध का अधिकारी हो सकता है।


👉 पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए।


👉 पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है।


👉 पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए।


👉 एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है।


👉 पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं।


👉 पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।


👉 पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है।


👉 पत्नी का श्राद्ध तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो।


👉 पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।


👉 गोद में लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी है।


👉 कोई न होने पर राजा को उसके धन से श्राद्ध करने का विधान है।


क्यों आवश्यक है श्राद्ध?
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श्राद्धकर्म क्यों आवश्यक है, इस संबंध में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं।


1👉 श्राद्ध पितृ ऋण से मुक्ति का माध्यम है।


2👉 श्राद्ध पितरों की संतुष्टि के लिये आवश्यक है।


3👉 महर्षि सुमन्तु के अनुसार श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता का कल्याण होता है।


4👉 मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, संतति, धन, विघ्या, सभी प्रकार के सुख और मरणोपरांत स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करते हैं।


5👉 अत्री संहिता के अनुसार श्राद्धकर्ता परमगति को प्राप्त होता है।


6👉 यदि श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पितरों को बड़ा ही दुःख होता है।


7👉 ब्रह्मपुराण में उल्लेख है की यदि श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पितर श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को शाप देते हैं और उसका रक्त चूसते हैं. शाप के कारण वह वंशहीन हो जाता अर्थात वह पुत्र रहित हो जाता है, उसे जीवनभर कष्ट झेलना पड़ता है, घर में बीमारी बनी रहती है। श्राद्ध-कर्म शास्त्रोक्त विधि से ही करें पितृ कार्य कार्तिक या चैत्र मास मे भी किया जा सकता है।


श्राद्ध में कुश और तिल का महत्व
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दर्भ या कुश को जल और वनस्पतियों का सार माना जाता है। यह भी मान्यता है कि कुश और तिल दोंनों विष्णु के शरीर से निकले हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश कुश में क्रमश: जड़, मध्य और अग्रभाग में रहते हैं। कुश का अग्रभाग देवताओं का, मध्य भाग मनुष्यों का और जड़ पितरों का माना जाता है। तिल पितरों को प्रिय हैं और दुष्टात्माओं को दूर भगाने वाले माने जाते हैं। मान्यता है कि बिना तिल बिखेरे श्राद्ध किया जाये तो दुष्टात्मायें हवि को ग्रहण कर लेती हैं।


महालयश्राद्ध 2024 की तिथियां
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किस दिन कौन से होते हैं श्राद्ध 

मंगलवार, 17 सितंबर 2024 - पूर्णिमा का श्राद्ध 

बुधवार, 18 सितंबर 2024,- प्रतिपदा का श्राद्ध 

गुरुवार, 19 सितंबर 2024- द्वितीय का श्राद्ध

शुक्रवार, 20 सितंबर 2024-तृतीया का श्राद्ध

शनिवार, 21 सितंबर 2024- चतुर्थी का श्राद्ध 

रविवार, 22 सितंबर 2024- पंचमी का श्राद्ध

सोमवार, 23 सितंबर 2024- षष्ठी का श्राद्ध और सप्तमी का श्राद्ध 
मंगलवार, 24 सितंबर 2024- अष्टमी का श्राद्ध 

बुधवार, 25 सितंबर 2024- नवमी का श्राद्ध 

गुरुवार, 26 सितंबर 2024- दशमी का श्राद्ध 

शुक्रवार, 27 सितंबर 2024- एकादशी का श्राद्ध 

रविवार, 29 सितंबर 2024- द्वादशी का श्राद्ध और माघ श्रद्धा 

सोमवार, 30 सितंबर 2024- त्रयोदशी श्राद्ध 

मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024- चतुर्दशी का श्राद्ध 

बुधवार, 2 अक्टूबर 2024- सर्वपितृ अमावस्या

किस समय करें श्राद्ध कर्म 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा होती है. वहीं दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए दोपहर 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जाता है. श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता हैं. जब आपको श्राद्ध कर्म करना हो तो सुबह सबसे पहले स्नान आदि करें और इसके बाद अपने पितरों का तर्पण करें. इसके अलावा श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ते और पंचबलि भोग देना चाहिए और ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए.



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अप्रैल फूल क्या है ? और क्यों मनाते हैं ?

 

अप्रैल फूल क्या है ? और क्यों मनाते हैं ?


"1 अप्रैल का इतिहास"


*अप्रैल फूल” किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान लें.!!* 
*हिंदुओं के पावन महीने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की शुरुआत को मूर्खता दिवस कह रहे हो !*
*पता भी है क्यों कहते हैं "अप्रैल फूल" 
*(इसका अर्थ है - हिन्दुओं का मूर्खता दिवस )?*
*ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है…*
*हम मुर्ख हिन्दू कैसे समझें “अप्रैल फूल” का मतलब। बड़े दिनों से बिना सोचे समझे चला रहे है अप्रैल फूल, अप्रैल फूल ???*

*अप्रैल फूल का मतलब क्या है..?

*दरअसल जब ईसाइयत अंग्रेजों द्वारा हम पर 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय सारी दुनिया के लोग विक्रमी संवत के अनुसार 1 अप्रैल से अपना नया साल मनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है.*
*आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1अप्रैल से शुरू होते है, पर उस समय जब भारत गुलाम था तो ईसाईयों ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 1 अप्रैल को 'मूर्खता दिवस' (अप्रैल फूल) का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे*।
*अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले हिंदू कितने सही हो आप.?*
*याद रखो अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार*
*1. हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है*
*(चैत्र शुक्ल प्रतिपदा)*
*2. हिन्दुओं के रीति -रिवाज़ सब इस दिन के कैलेण्डर के अनुसार बनाये जाते हैं।*
*आज का दिन दुनियां को दिशा देने वाला होता है।*
*अंग्रेज ईसाई, हिन्दुओं के विरुद्ध थे, हिंदुओं की संस्कृति को खत्म करने के इरादे से हिन्दूओं के त्योहारों को और हमारे पावन दिन को मूर्खता का दिन नाम दिया और नासमझी में आज हम हिन्दू भी बहुत शान से कह रहे हैं.!*


*हिंदुओं गुलामी मानसिकता का सबूत ना दो अप्रैल फूल लिख के*,


 *'अप्रैल फूल' सिर्फ भारतीय सनातन कैलेण्डर, जिसको पूरा विश्व फॉलो करता था उसको भुलाने और मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था। 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेण्डर अपनाने का फरमान जारी किया जिसमें 1 जनवरी को नया साल का प्रथम दिन घोषित किया।*
 *जिन लोगों ने इसको मानने से इंकार किया, उनका 1 अप्रैल को मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 1 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया। आज भारत के सभी लोग अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए अप्रैल फूल डे मना रहें हैं।*
जागो हिन्दुओं जागो।।
अपने धर्म को पहचानो।।
*कोई भी इस आने वाली 1 अप्रैल से मूर्खता का परिचय न दें और अंग्रेजों द्वारा प्रसिद्ध किया गया ये हिंदुओं का मजाक बंद हो जाये ।*

*1 अप्रैल का इतिहास*

""""""""""""""""""""""""""""""""""""
*दोस्तों आपको बताना चाहता हूं कि जनवरी का नववर्ष हिंदू या सनातन धर्म का नववर्ष नहीं है। यह तो पाश्चात्य दुनियां का नववर्ष है जिसे हम बड़े हर्ष उल्लास से मना रहे हैं। हम यह जानने का प्रयास भी नहीं करते कि यह नववर्ष क्यों मना रहे हैं, किस लिए मना रहे हैं, जबकि हमारा नव वर्ष “चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथम तिथि” से मनाया जाता है। और इस नववर्ष को मनाने के पीछे बहुत से कारण भी हैं उस समय शरद ऋतू की समाप्ति होकर बसंत ऋतु का आगमन होता है, चारों और फसल की बहार होती है, सब तरफ हरियाली है। वातावरण शांत, और मनोमुग्धकारी होता है।*
*इसी माह में मर्यादा पुरुषोत्तम “श्री रामचंद्र” जी का जन्म हुआ था, जिसे “रामनवमी” के नाम से हम मनाते हैं, तो फिर यह पश्चिमी देशों का त्यौहार हम क्यों मनाए थोड़ा सोचिए कब तक हम पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण और उसका अनुसरण करते रहेंगे*
*क्यों हम अपने त्यौहार, अपने रीति-रिवाज, अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं*।
*हम यह सोचते हैं कि पाश्चात्य देश हमसे आगे है या हमारी संस्कृति से अच्छी है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, हम ज्ञान में या संस्कृति में भी उनसे कहीं बहुत आगे हैं। बस हमें अपने आप को पहचानने की जरूरत है । अपनी संस्कृति को जानने की जरूरत है। हमें अपने पूर्वजों के दिये हूये ज्ञान और संस्कारों को जानना व उसका अनुसरण करना चाहिए।*
*भारत तो पहले से ही ज्ञान का भंडार रहा है। यहां पर देश विदेश से शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। नालंदा, और “तक्षशिला” जो अब अपने अस्तित्व को खो चुके है। ये विश्वविद्यालय दुनिया में एक मिसाल थे। दुनिया भर से लोग यहां पर अध्ययन के लिए आते थे यहां से शिक्षा लेकर अपने देश में जाकर वहां शिक्षा का प्रचार किया करते। दुर्भाग्य से आज उसी तक्षशिला के लोग अपनी शिक्षा, संस्कृति, सभ्यता आदि को खोते जा रहे हैं।*
*दोस्तों, आप खुद बुद्धिमान हैं ज्यादा बताने की जरूरत नहीं है । बस एक दिशा दिखा रहा हूं या प्रयत्न कर रहा हूं कि यह काम अपना है या पराया इसे पहचानना, और अपना नव वर्ष छोड़कर दूसरों का नव वर्ष मनाना कहां तक उचित है? शांत मन से यह विचार करना ।*
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Hair Fall Control Naturally (Hindi language)



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प्याज शैम्पू में प्रो-विटामिन बी 5 (डी पंथेनॉल) है जो बालों को नरम और मजबूत बनाने के लिए जड़ों को मजबूत करने और जलयोजन को बढ़ावा देने में मदद करता है। प्रो-विटामिन बी 5 के साथ आपके बाल कुछ ही हफ्तों में सूखे और बेजान से नरम और चमकदार हो जाएंगे।
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Indulekha Bringha एंटी हेयर फॉल शैम्पू
इस आइटम के बारे में
बाल झड़ना रोकता है.
आयुर्वेदिक प्रोप्राइटरी दवा
9 भ्रिंघा पौधों की शक्ति शामिल है
कोई अतिरिक्त रंग नहीं है.
अतिरिक्त खुशबू नहीं.
बालों के प्राकृतिक गुण फिर से लाता है.
बालों के स्वास्थ को सुधारे
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Buy SONY Bravia 108 cm 4K Ultra HD LED Google Android TV

Sony Bravia 108 cm (43 inches) 4K Ultra HD Smart LED Google TV KD-43X74K (Black)


सोनी 108 सेमी (43 इंच) ब्राविया टीवी के दो अलग-अलग मॉडल पेश करता है, W6603 फुल एचडी स्मार्ट टीवी और डॉल्बी ऑडियो और एलेक्सा कम्पैटिबिलिटी के साथ 4K अल्ट्रा एचडी स्मार्ट एलईडी गूगल टीवी KD-43X75K (ब्लैक) या KD-43X74K (ब्लैक) (ब्लैक) 2022 मॉडल)।
W6603 फुल एचडी स्मार्ट टीवी एचडीआर और यूट्यूब तक तुरंत पहुंच के साथ आता है, जो इसे ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग पसंद करने वालों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाता है। इसमें एक स्मार्ट टीवी कार्यक्षमता भी है जो आपको इंटरनेट से कनेक्ट करने और विभिन्न ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंचने देती है।
दूसरी ओर, 4के अल्ट्रा एचडी स्मार्ट एलईडी गूगल टीवी मॉडल उन्नत सुविधाओं जैसे कि Google टीवी, डॉल्बी ऑडियो और एलेक्सा संगतता के साथ आते हैं, जो इसे उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाता है जो अपने टीवी देखने में अत्याधुनिक तकनीक का अनुभव करना चाहते हैं। . KD-43X75K मॉडल में Dolby Audio और Alexa कम्पैटिबिलिटी है, जबकि KD-43X74K मॉडल 2022 का मॉडल है जो Google TV के साथ आता है।

कुल मिलाकर, दोनों सोनी ब्राविया 108 सेमी (43 इंच) टीवी उत्कृष्ट विशेषताएं और कार्यक्षमता प्रदान करते हैं, और यह दोनों के बीच चयन करते समय व्यक्तिगत पसंद और जरूरतों पर निर्भर करता है।



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अगर आप नवीनतम स्मार्ट टीवी खरीदना चाहते हैं तो ऑनलाइन खरीदारी आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। ऑनलाइन खरीदारी करने से आपको अनेक लाभ होते हैं जैसे कि आपको बेहतरीन डिस्काउंट और ऑफर मिलते हैं, इससे आपका समय भी बचता है क्योंकि आपको घर से ही खरीदारी करने की सुविधा होती है।


ऑनलाइन खरीदारी करते समय आपको ध्यान देने की जरूरत होती है कि आपके पास टीवी के फीचर्स, साइज और ब्रांड के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। आपको ऑनलाइन वेबसाइट पर टीवी की समीक्षा पढ़नी चाहिए ताकि आप अपनी खरीदी हुई टीवी से संतुष्ट हों। इसके अलावा, आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि आप एक भरोसेमंद ऑनलाइन AMAZON वेबसाइट से ही अपना खरीदारी करें जिसमें आपको निश्चित रूप से टीवी की गारंटी और सही डिलीवरी मिलेगी।

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होली पर पत्नी ने नहीं बनाया चिकन तो भड़का पति, बेरहमी से पीटकर फोड़ा सिर और तोड़ा हाथ - Husband beaten up his wife for not cooking the chicken in chandrapur lclg - AajTak
 

होली पर पत्नी ने नहीं बनाया चिकन तो भड़का पति, बेरहमी से पीटकर फोड़ा सिर और तोड़ा हाथ

चिकन नहीं बनाने पर पत्नी को पीटने वाला पति गिरफ्तार किया है. डंडे से पीटे जाने के कारण महिला से सिर में गंभीर घाव हुआ है साथ ही उसका हाथ भी टूट गया है. घटना होली के दिन घटी थी. पति चिकन खाना चाहता था, लेकिन पत्नी ने चिकन बनाने से मना कर दिया था.

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चिकन नहीं बनाने पर पति ने पत्नी का हाथ तोड़ा.
चिकन नहीं बनाने पर पति ने पत्नी का हाथ तोड़ा.

पत्नी का चिकन बनाने से इंकार करना पति को इतना नागवार गुजरा की उसने पत्नी का सिर फोड़ दिया और हाथ तोड़ दिया. डॉक्टरों के मुताबिक महिला के सिर पर गहरा घाव हुआ है. उसका इलाज जारी है. वहीं, पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया है. मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है.

दरसअल, घटना महाराष्ट्र के चंद्रपुर में धूलिवंदन (होली) के दिन की है. यहां का रहने वाला युवक बाजार से चिकन लेकर आया था. घर आकर उसने पत्नी से कहा कि चिकन बना दे. मगर, पत्नी ने पति से कहा कि खाना बनकर तैयार हो चुका है. अभी चिकन नहीं बना सकती, शाम को बना दूंगी.

मना करने पर भड़का पति, फोड़ा सिर और तोड़ा हाथ

पत्नी का चिकन बनाने से मना करना पति को नागवार गुजरा. उसे इतना गुस्सा आया कि वह घर के आंगन में पड़ा डंडा लेकर आया और पत्नी की बेरहमी से मारना-पीटना शुरू कर दिया. गुस्से से पागल हो चुके पति ने पत्नी के सिर पर डंडे से कई वार किए, जिससे पत्नी के सिर में गंभीर घाव हो गया और वह लहुलुहान हो गई. पति की मार से महिला का एक हाथ भी फ्रेक्चर हो गया.

अस्पताल में चल रहा महिला का इलाज.
अस्पताल में चल रहा महिला का इलाज.

आस-पास मौजूद लोगों ने घटना की जानकारी पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया. वहीं, घायल महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है. यहां उसका इलाज चल रहा है. पुलिस का कहना है कि मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है.

सब्जी लाने का बोलने पर पत्नी को था पीटा

कुछ समय पहले गाजियाबाद में भी छोटी सी बात पर पति ने पत्नी को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था. पीड़ित पत्नी आरोही मिश्रा की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने पति सौरभ से सब्जी लाने का बोल दिया था. शराबी पति को पत्नी का ऐसा कहना पसंद नहीं आया था. रात 11 बजे उसने पत्नी को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था. घटना का वीडियो भी सामने आया था.

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